भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की भारत की आर्थिक वृद्धि दर यानी जीडीपी के अनुमान को कम कर दिया है. आरबीआई की नई समीक्षा के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी का अनुमान घटाकर 6.1 फीसदी रह जाएगा. इससे पहले आरबीआई ने 6.9 फीसदी की दर से जीडीपी ग्रोथ का अनुमान जताया था. यानी कुछ महीनों में ही आरबीआई ने जीडीपी ग्रोथ के अनुमानित आंकड़े में 0.8 फीसदी की कटौती कर दी है. अगर आरबीआई का यह अनुमान हकीकत बन जाता है तो केंद्र की मोदी सरकार के लिए किसी झटके से कम नहीं है. दरअसल, सरकार साल 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर ( करीब 350 लाख करोड़ रुपये) इकोनॉमी के लक्ष्‍य पर जोर दे रही है. इस लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए सरकार को फीसदी के हिसाब से जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार भी तेज करने के लिए काम करना होगा. इसके अलावा इस लक्ष्‍य को हासिल करने में रुपये की मजबूती भी अहम भूमिका निभाएगी. रुपया जितना मजबूत होगा रकम के हिसाब से देश की जीडीपी भी बढ़ेगी.

राज्य के मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वे 2024 तक भारत को 5 ट्रिलियन यानी 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना चाहते हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था फिलहाल करीब 190 लाख करोड़ (मौजूदा दर के अनुसार जीडीपी, 2018-19) की है. डॉलर में बदलने पर इसका औसत मूल्य  करीब 2.8 ट्रिलियन डॉलर बैठता है. इसका मतलब है कि अगले पांच साल में भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए लगभग दोगुनी होना होगा.


क्या 5 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य वास्तविक है? अगर डॉलर के संदर्भ में देखें तो दो मुख्य कारक ऐसे हैं जो भारत की विकास दर के इस लक्ष्य तक पहुंचने को प्रभावित कर सकते हैं:


1. महंगाई दर


2. रुपया और डॉलर की विनिमय दर


महंगाई दर बढ़ने का का अर्थ है कि वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे. महंगाई दर में बढ़ोत्तरी के साथ रुपये की क्रय शक्ति घटेगी, जो उपभोग घटा देगी और जीडीपी ग्रोथ पर नकारात्मक असर पड़ेगा.


भारत में महंगाई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) नियंत्रित रही है और अगस्त 2018 से 4% के आसपास ही रह रही है. पिछले महीने यह 3.05% दर्ज की गई. इसी तरह, 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए रुपया और डॉलर की विनिमय दर को भी नियंत्रण में रखना होगा. अगर आगे चलकर रुपये का मूल्य घटता है तो डॉलर के संदर्भ में यह भारत की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डालेगा, लेकिन अगर डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होता है तो इससे इस लक्ष्य तक पहुंचना आसान हो जाएगा.